Rajeev kumar

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लेखनी कहानी -16-Jan-2023

धरती का परिधान

धरती पहनी
हरा परिधान
लहलहा उठे हैं
खेत खलिहान।

नभ को आभाष
धरती की प्यास
सुखाड़ की विकट घड़ी में
नभ पे है विश्वास।

अम्बर के आँसू से
बढ़ी धरती की ज्योति
सम्पन्न हरियाली
किसान की संपत्ति 

धरती हरी नीली
अम्बर के पी आँसू
धरती का देख क्रन्दन
अम्बर ने पोंछी आँसू।

अम्बर ही धरा का
रहा है दुख हरता
जलाशय की सुखी गोद
अम्बर ही है भरता।

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3 Comments

Renu

18-Jan-2023 10:22 AM

👍👍🌺

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Rajeev kumar

17-Jan-2023 05:52 PM

Thank

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Varsha_Upadhyay

17-Jan-2023 08:15 AM

Nice 👍🏼

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